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    *⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
    *!! चंदन का उद्यान !!*
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    एक राजा वन विहार के लिए गया। शिकार का पीछा करते-करते राह भटक गया, घने जंगल में जा पहुँचा। रास्ता साफ नहीं दिख पड़ता था। साथी कोई रहा नहीं। रात हो गई, जंगल के हिंसक पशु दहाड़ने लगे। राजा डरा और रात्रि बिताने के लिए किसी आश्रय की तलाश करने लगा।
    ऊँचे पेड़ पर चढ़कर देखा तो उत्तर दिशा में किसी झोंपड़ी में दीपक जलता दिखाई दिया। राजा उसी दिशा में चल पड़ा और किसी वनवासी की झोपड़ी में जा पहुँचा।
    अपने को एक राह भूला पथिक बताते हुए राजा ने उस व्यक्ति से एक रात निवास कर लेने देने की प्रार्थना की। वनवासी उदार मन वाला था, उसने प्रसन्नता पूर्वक ठहराया और घर में जो कुछ खाने को था देकर उसकी भूख बुझाई। स्वयं जमीन पर सोया और अतिथि को आराम से नींद लेने के लिए अपनी चारपाई दे दी। राजा ने
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    *⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
    *!! मानव चरित्र !!*
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    एक बार एक जिज्ञासु व्यक्ति ने एक संत से प्रश्न किया, “महाराज, रंग रूप, बनावट प्रकृति में एक जैसे होते हुए भी कुछ लोग अत्यधिक उन्नति करते हैं। जबकि कुछ लोग पतन के गर्त में डूब जाते हैं।
    संत ने उत्तर दिया, “तुम कल सुबह मुझे तालाब के किनारे मिलना। तब मैं तुम्हे इस प्रश्न का उत्तर दूंगा। अगले दिन वह व्यक्ति सुबह तालाब के किनारे पहुंचा। उसने देखा कि संत दोनों हाथ में एक एक कमंडल लिए खड़े हैं।
    जब उसने ध्यान से देखा तो पाया कि एक कमंडल तो सही है। लेकिन दूसरे की पेंदी में एक छेद है। उसके सामने ही संत ने दोनों कमंडल तालाब के जल में फेंक दिए। सही वाला कमंडल तो तालाब में तैरता रहा।
    लेकिन छेद वाला कमंडल थोड़ी देर तैरा, लेकिन जैसे जैसे उसके छेद से पानी अंदर आता गया। वह डूबने लगा और
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    *⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
    *!! अहंकार !!*
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    बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक मूर्तिकार ( मूर्ति बनाने वाला ) रहता था| वह ऐसी मूर्तियाँ बनता था, जिन्हें देख कर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था ! आस-पास के सभी गाँव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्तिकला के कायल थे ! इसीलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था.
    जीवन के सफ़र में एक वक़्त एसा भी आया जब उसे लगने लगा की अब उसकी मृत्यु होने वाली है, वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा ! उसे जब लगा की जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है तो वह परेशानी में पड़ गया ! यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई ! उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियाँ बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जा कर बैठ गया !
    यमदूत जब उसे लेने आए तो एक जैसी ग्यारह आकृतियों को देखक
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    *⚜️ आज का प्रेरक प्रसंग ⚜️*
    *!! मंदबुद्धि बालक !!*
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    विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे। उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।
    कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था। और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे। पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था, वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते, कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता, यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते। इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया।
    अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्बाद करता। एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था , घूमते-घूमते उसे प्यास लग गयी। वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दि
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