आँखों में आँसुओं की लकीर बन गयी,
जैसी चाही थी वैसी ही तकदीर बन गयी,
हमने तो चलाई थीं रेत में उँगलियाँ,
गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी।
हर एक मुस्कुराहट मुस्कान नहीं होती,
नफरत हो या मोहब्बत आसान नहीं होती,
आँसू ख़ुशी और ग़म के होते हैं एक जैसे,
इन आँसुओं की कोई पहचान नहीं होती।।